
#रांची #पेयजल_विभाग — सरकारी धन की हेराफेरी में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की संभावना
- पेयजल विभाग से 23 करोड़ रुपये की फर्जी निकासी का मामला, एसीबी ने शुरू की जांच
- सदर थाने में दर्ज केस 562/23 अब एसीबी ने टेकओवर किया, डीएसपी रैंक के अधिकारी को जिम्मेदारी
- विभागीय इंजीनियरों और कोषागार अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध, वित्त विभाग से रिपोर्ट प्राप्त
- फर्जी बैंक खातों का खुलासा, मृतक कर्मी के नाम पर खोला गया एकाउंट
- कोषागार के चार अधिकारियों को निलंबित किया गया, संतोष कुमार गिरफ्तार
पेयजल विभाग में गड़बड़ी: फर्जी निकासी और साक्ष्य मिटाने का प्रयास
रांची: पेयजल विभाग के खाते से 23 करोड़ रुपये की फर्जी निकासी के मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने जांच शुरू कर दी है। रांची सदर थाना में पेयजल विभाग द्वारा दर्ज कराए गए केस 562/23 को एसीबी ने टेकओवर कर लिया है। इस मामले की जांच की जिम्मेदारी डीएसपी रैंक के एक अधिकारी को सौंपी गई है। डीजीपी सह एसीबी चीफ अनुराग गुप्ता के द्वारा इस मामले की समीक्षा की संभावना जताई जा रही है, जिसमें जांच और साक्ष्य संकलन की दिशा में कार्रवाई की जाएगी।
गड़बड़ी में शामिल अधिकारियों की भूमिका
इस मामले में एसीबी ने वित्त विभाग से रिपोर्ट प्राप्त की है, जिसमें विभागीय इंजीनियरों, कोषागार अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई है। बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और सरकारी धन की हेराफेरी उजागर होने के बाद अब तक विभागीय कर्मियों की संलिप्तता सामने आई है। सदर पुलिस ने 9 अप्रैल 2024 को पेयजल विभाग के रोकड़पाल संतोष कुमार को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
संतोष कुमार के खिलाफ कार्रवाई के बाद रांची के डीआईजी सह एसएसपी चंदन कुमार सिन्हा ने इस मामले में एसीबी जांच की अनुशंसा की थी, और एसीबी ने जांच के लिए कई महत्वपूर्ण दस्तावेज भी विभाग से हासिल कर लिए हैं।
फर्जी एकाउंट्स और धन की हेराफेरी
वित्त विभाग की जांच में खुलासा हुआ है कि एलएंडटी कंपनी के नाम पर 5 फर्जी बैंक एकाउंट खोले गए थे। संतोष कुमार ने बताया कि विभाग द्वारा कंपनी को किए गए भुगतान की राशि अपने एकाउंट में रख ली थी। इसके बाद, संतोष कुमार ने बताया कि इस राशि से कार्यपालक अभियंता सहित वरिष्ठ अधिकारियों को महंगे उपहार भी दिए गए थे, जिनमें जेवरात, लैपटॉप और मैकबुक शामिल थे।
संतोष कुमार ने स्वीकार किया कि विभागीय भुगतान के नाम पर मृतक कर्मी के नाम पर पेआइडी खोला गया था, और 59 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितता के लिए दूसरा फंड कोषागार में शिफ्ट कर दिया गया।
कोषागार की भूमिका और निलंबन
इस पूरे प्रकरण में कोषागार की भूमिका भी सामने आई है, जिसके बाद कोषागार के चार अधिकारियों को निलंबित किया गया है। विभागीय जांच में यह स्पष्ट हुआ कि सरकारी धन की हेराफेरी में कोषागार के अधिकारियों का सहयोग प्राप्त था। अब तक एसीबी और वित्त विभाग की संयुक्त कार्रवाई से मामले का खुलासा हो चुका है, और कई और अधिकारियों के खिलाफ आगे की कार्रवाई की जा सकती है।
न्यूज़ देखो : प्रशासन के भ्रष्टाचार पर हमारी गहरी नजर
न्यूज़ देखो लगातार घटनाओं और भ्रष्टाचार के मामलों पर अपनी गहरी नजर बनाए रखता है। रांची के पेयजल विभाग में हुई 23 करोड़ रुपये की फर्जी निकासी के मामले ने प्रशासन के भ्रष्टाचार को एक बार फिर उजागर किया है। अब यह जरूरी हो गया है कि एसीबी और अन्य जांच एजेंसियां जिम्मेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें और यह सुनिश्चित करें कि सरकारी धन का सही तरीके से उपयोग हो।
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