
#पटना #मिडडे_मील_विवाद – सरकारी स्कूल में लापरवाही का बड़ा मामला, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने स्वतः संज्ञान लेकर मांगी विस्तृत रिपोर्ट
- मोकामा के सरकारी स्कूल में मिड-डे मील खाने से 100 से अधिक बच्चे पड़े बीमार
- खाने से निकला मरा हुआ सांप, फिर भी बच्चों को परोस दिया गया भोजन
- घटना के बाद ग्रामीणों ने विरोध करते हुए किया सड़क जाम
- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भेजा नोटिस, दो सप्ताह में मांगी रिपोर्ट
- रिपोर्ट में बच्चों की स्वास्थ्य स्थिति और प्रशासनिक कार्रवाई का विवरण मांगा गया
- घटना ने सरकारी स्कूलों की भोजन व्यवस्था पर खड़े किए सवाल
जब भोजन बना खतरा: बच्चों की जान से हुआ खिलवाड़
पटना जिले के मोकामा प्रखंड स्थित एक सरकारी स्कूल में मिड-डे मील खाने के बाद 100 से अधिक बच्चे अचानक बीमार पड़ गए, जिससे पूरे इलाके में अफरा-तफरी मच गई।
24 अप्रैल, 2025 को हुई इस घटना में लगभग 500 बच्चों ने भोजन किया था, जिसके कुछ समय बाद बच्चों को उल्टी, पेट दर्द, बेचैनी और घबराहट की शिकायत होने लगी।
स्थानीय लोगों के अनुसार, भोजन से एक मरा हुआ सांप निकला, जिसे हटाने के बाद भी वही खाना छात्रों को परोस दिया गया।
“यह न सिर्फ लापरवाही है, बल्कि बच्चों के स्वास्थ्य के साथ एक खतरनाक खिलवाड़ है। दोषियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए,”
— स्थानीय ग्रामीण, विरोध के दौरान
NHRC का हस्तक्षेप: दो सप्ताह में मांगी गई विस्तृत रिपोर्ट
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने इस गंभीर लापरवाही पर स्वतः संज्ञान लेते हुए बिहार सरकार के मुख्य सचिव और पटना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को नोटिस भेजा है।
आयोग ने स्पष्ट किया कि यदि मीडिया रिपोर्ट में दिए गए तथ्य सही हैं, तो यह बच्चों के मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन है।
“इस घटना से बच्चों का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हुआ है। यह एक गंभीर मानवीय चिंता का विषय है,”
— राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, भारत
स्थानीय प्रशासन की चुप्पी और जनता का आक्रोश
घटना के बाद स्थानीय ग्रामीणों और अभिभावकों ने स्कूल प्रशासन और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया।
टायर जलाकर सड़क को कई घंटे तक जाम किया गया और अधिकारियों की निष्क्रियता के विरोध में नारेबाजी की गई।
अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि भोजन की गुणवत्ता जांचने की प्रक्रिया का पालन किया गया था या नहीं।
अब तक की कार्रवाई और स्वास्थ्य स्थिति
सूत्रों के अनुसार, कई बच्चों को निकटवर्ती प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां कुछ की हालत अभी भी चिंताजनक बताई जा रही है।
अभी तक रसोइया और स्कूल प्रबंधन पर कोई स्पष्ट कार्रवाई नहीं की गई है, जिससे अभिभावकों में असंतोष और डर बना हुआ है।
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