
#रांची #कृषि_व्यापार – झारखंड के कृषि उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुँचाने की रणनीति पर हुई खुली चर्चा
- चेंबर भवन में ‘अहारी’ समिति द्वारा आयोजित की गई उच्च स्तरीय कार्यशाला
- रेलवे, एयरपोर्ट, ड्राई पोर्ट और नाबार्ड के अधिकारियों ने साझा की व्यावसायिक योजनाएं
- राज्य से सीधे कृषि निर्यात के लिए आधारभूत संरचना विकसित करने की उठी मांग
- किसानों की आय 4 से 10 गुना तक बढ़ाने का दावा
- नाबार्ड, ग्रामीण बैंक और FPOs को जोड़कर व्यापार मॉडल का खाका प्रस्तुत
- ONDC प्लेटफॉर्म से किसानों को डिजिटल मार्केटिंग की सलाह
भविष्य की रणनीति पर केंद्रित रही कार्यशाला
रांची के चेंबर भवन में चैंबर की कृषि बागवानी एवं ग्राम उद्योग उप समिति (अहारी) द्वारा एक महत्वपूर्ण कार्यशाला आयोजित की गई। विषय था — “झारखण्ड के कृषि उत्पाद का अंतर्राज्यीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर व्यापार का विकास”। इस कार्यक्रम में रेलवे, एयरपोर्ट, नाबार्ड, ग्रामीण बैंक समेत कई प्रमुख संस्थानों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया और झारखंड के किसानों के लिए कृषि उत्पादों के बड़े बाजार तक पहुंच के रास्ते सुझाए।
कार्यशाला में सीनियर डीसीएम शुचि सिंह, एयरपोर्ट डायरेक्टर आर.आर. मौर्या, नाबार्ड के डीजीएम गौरव कुमार, ड्राई पोर्ट कंपनी के प्रतिनिधि, एसोसिएट डीन डॉ. ए.के. सिंह, झारखंड ग्रामीण बैंक के एजीएम मुकेश वर्मा जैसे विशेषज्ञों ने अपनी अहम भूमिका निभाई।
विपणन ढांचे की कमी से हो रहा नुकसान
कार्यशाला में आनंद कोठारी ने कहा कि झारखंड के किसान कड़ी मेहनत से सब्जी, फल, धान, तिलहन, दलहन और लघु वन उत्पाद का उत्पादन करते हैं, लेकिन विपणन ढांचे और इकोसिस्टम की कमी के चलते उन्हें सही कीमत नहीं मिलती। उन्होंने मांग की कि रांची समेत कई जिलों में आधुनिक पैक हाउस, ड्राई पोर्ट, लैब्स, कार्गो टर्मिनल और एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल की स्थापना हो।
रेलवे और एयरपोर्ट से मिले जरूरी सुझाव
शुचि सिंह ने जानकारी दी कि रांची, मुरी और हटिया से कृषि उत्पादों को 12–36 घंटे में देश के किसी भी हिस्से में भेजा जा सकता है। रेलवे रेफर वैन की व्यवस्था भी करेगा। आर.आर. मौर्या ने बताया कि रांची एयरपोर्ट से 12 घंटे में देश के बड़े शहरों में कृषि उत्पाद पहुंचाए जा सकते हैं और वहां 5 टन का कोल्ड स्टोरेज भी उपलब्ध है।
ड्राई पोर्ट से होगा समुद्री व्यापार
ड्राई पोर्ट कंपनी प्रीसटाइन मगध के प्रतिनिधियों राकेश कुमार और मो. शहदाब ने कहा कि उनकी कंपनी के जरिए झारखंड से कृषि उत्पादों को पानी के रास्ते विदेशों तक भेजा जा सकता है। वे कानूनी प्रक्रियाओं, डॉक्युमेंटेशन और निर्यात सेवाएं भी उपलब्ध कराते हैं।
नाबार्ड और बैंक का सहयोग रहेगा मुख्यधारा में
नाबार्ड के गौरव कुमार ने कहा कि राज्य में 700 से अधिक किसान उत्पादक कंपनियां हैं जो इस व्यापार में अहम भूमिका निभा सकती हैं। उन्होंने ONDC डिजिटल प्लेटफॉर्म की जानकारी दी जो किसानों को कम लागत में अपने उत्पाद बेचने का मौका देता है।
वहीं, मुकेश वर्मा ने बताया कि झारखंड राज्य ग्रामीण बैंक की 400 से अधिक शाखाओं के माध्यम से कृषि और खाद्यान्न व्यवसाय के लिए ऋण सुविधा उपलब्ध है।
राज्य को चाहिए निर्यात के लिए मजबूत नींव
खरसावां हॉर्टीकल्चर कॉलेज के डॉ. ए.के. सिंह ने बताया कि झारखंड की जलवायु, खनिज-समृद्ध मृदा और ढलानदार भूभाग की वजह से यहां साल भर सब्जियां, फल, फूल और श्रीअन्न का उत्पादन होता है। ये उत्पाद देश के बड़े शहरों और विदेशों में निर्यात किए जा सकते हैं। उन्होंने इस दिशा में चेंबर की पहल की सराहना की।
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